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वस्ल की मेरे लिए रात कभी तो होगी - Asif Kaifi

वस्ल की मेरे लिए रात कभी तो होगी
आप से मेरी मुलाक़ात कभी तो होगी

हम पे मौसम की इनायात कभी तो होगी
खुश्क सहराओं में बरसात कभी तो होगी

सुबह नौ आएगी लेकर कभी खुशियों का प्याम
मुख़्तसर ग़म की सियाह रात कभी तो होगी

कब तलक तेरी बुलंदी पे रहेगी किस्मत
जीतने वाले तुझे मात कभी तो होगी

हम भी बैठे है इसी आस पे महफ़िल में तेरी
हम पे भी चश्में इनायात कभी तो होगी

- Asif Kaifi

Mehfil Shayari

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