वो लड़की बोलती थी जब, चुप न होती थी
मुस्कराती थी खुलकर और फिर रोती थी
मैं किस नाते उसके लिए परेशाँ हूँ अब तक
मैं उसका कौन था, वो मेरी कौन होती थी
कभी बारिशों को बना देती थी बादल वो
और कभी तो नाव में दरिया डुबोती थी
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