0

तुम भी मुझको ऐसा वैसा समझे क्या  - Kashif Adeeb Makanpuri

तुम भी मुझको ऐसा वैसा समझे क्या
होश में आओ अपने जैसा समझे क्या

उनके लबों पर मेरा चर्चा समझे क्या
कैसे बही ये उल्टी गंगा समझे क्या

लाख उसे दुनियादारी समझाई मगर
दीवाना तो फिर दीवाना समझे क्या

हस्ती को हंस हंस के मिटाना पड़ता है
दिल का लगाना खेल तमाशा समझे क्या

आँखो ही आँखो में तुमको ऐ हमदम
अब तक मैंने जो समझाया समझे क्या

वो मासूम तो एक खिलौना समझेगा
अंगारा या फूल है बच्चा समझे क्या

पाप दिलों में खोट है सबकी आँखों में
तेरा मेरा रिश्ता दुनिया समझे क्या

आपने ही जब ग़ैर बना डाला मुझको
कोई मुझे दुनिया में अपना समझे क्या

मैं इक चाँद हूं अपने गगन का ऐ काशिफ़
आप मुझे टूटा हुआ तारा समझे क्या

- Kashif Adeeb Makanpuri

Aankhein Shayari

Our suggestion based on your choice

More by Kashif Adeeb Makanpuri

As you were reading Shayari by Kashif Adeeb Makanpuri

Similar Writers

our suggestion based on Kashif Adeeb Makanpuri

Similar Moods

As you were reading Aankhein Shayari