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तिरे करम ने बनाया मुझे किसी लायक - Moin Hasan

तिरे करम ने बनाया मुझे किसी लायक
वगरना मेरे तो सब काम थे दुखी लायक

मैं एक जंग से हारा हुआ सिपाही हूँ
तू मुझको छोड़ दे हूँ यार मैं इसी लायक

ये होंट सूखे रहे और बन गए पत्ते
ये आँख बहती रही बन गई नदी लायक

मिरे ये हाथ फ़क़त बेड़ियों के आदी हैं
कहाँ से आपको लगते हैं ये घड़ी लायक

हमारी आंख अज़ल से नदी की पैकर हैं
तुम्हरी आँख बनी हैं अभी नमी लायक

तू जब भी आता हैं तो सोगवार करता हैं
हैं तेरे पास कोई बात भी खुशी लायक

- Moin Hasan

Life Shayari

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