हमें मालूम होता है कि क्या करना ज़रूरी है
किधर जाना दिखावा है, कहाँ रहना ज़रूरी है
मगर सब जानकर भी हम ग़लत का साथ देते हैं
बशर्ते है पता, हालत समझ पाना ज़रूरी है
ना जाने क्यूँ, ये मेरा दिल मुझी से जीत जाता है
मैं जब भी सोचता हूँ इसको समझाना ज़रूरी है
ये कितनी बार लगता है कि हर हद से ग़ुज़र जाएँ
हालाँकि जानते हैं हम ठहर जाना ज़रूरी है
जिन्होंने ख़्वाब देखे हैं दो-आलम फ़तह करने के
उन्हें दरिया-ए-ग़म से तैर कर जाना ज़रूरी है
लगेगा ये जो अपने हैं, इन्हीं के साथ रहना है
मगर ये ख़्वाब है, इससे निकाल जाना ज़रूरी है
मिलेगा क्या, जो बस बैठा रहा तू आस में रब की?
तू शाहीं है! तुझे परवाज़ पर जाना ज़रूरी है
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