तुझे जी भर के रोना है मुझे आँसू छुपाना है
तुझे ग़ैरों का होना है मेरा बस तू ठिकाना है
अभी जोखिम उठाना है अभी आग़ाज़ है मेरा
मुझे इज़्ज़त कमानी है मुझे पैसा कमाना है
मेरे वालिद पे कर्ज़ा था मेरी तालीम को लेकर
उसी लाला का अब मुझको तो क़र्ज़ा भी चुकाना है
उसे बाग़ों से फूलों से बहारों से मोहब्बत थी
सुनो जाँबाज़ अफ़्सूँ-गर उसे तितली बनाना है
भरी महफ़िल में उजड़ा-पन सा लगता है मुझे तुम बिन
हँसी आती नहीं फिर भी मुझे अब मुस्कुराना है
सुनो जानाँ अभी मौक़ा है आ जाओ मेरे घर में
मुझे बातें भी करनी हैं ये हाल-ए-दिल सुनाना है
अगर झगड़ा नहीं करना तो ये उलझन हटा दो अब
हमें अपनों को अब ग़ुस्सा नहीं धीरज दिलाना है
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