सबको अपना यार बनाना ठीक नहीं
इस दिल को बाजार बनाना ठीक नहीं
पूरा बदन बना करके अच्छा-अच्छा
चेहरा फिर बेकार बनाना ठीक नहीं
बे-मतलब की यारी खुशियाँ देती है
मतलब से बस यार बनाना ठीक नहीं
अपनो से मिलने का जिसमें वक़्त न हो
ऐसे भी मेयार बनाना ठीक नहीं
Our suggestion based on your choice
As you were reading Shayari by Deepak Maurya
our suggestion based on Deepak Maurya
As you were reading Dosti Shayari