ये चरागों की ही जसारत थी
वरना बुझ जाते ऐसी हालत थी
मेरे अंदर जो मर गया है ना
उसको तुमसे बहुत मुहब्बत थी
आप क्यों हम पे मर गए जब के
आपको जीने की सहूलत थी
कर लिया ऐतबार जो भी मिला
दिल लगाने की इतनी उजलत थी
आपसे जिस्म किसने माँगा था
हमको बस प्यार की जरुरत थी
उसके धोके से पहले दिल में मेरे
प्यार देने की इक रिवायत थी
उस गली से गुज़रना ही यारों
दिल की सबसे बड़ी हिमाकत थी
तुम क्यों रोते हो इश्क़ के लिए अब
तुमको तो जिस्म की जरुरत थी
हो गए मूव ऑन सो उनसे
दोस्ती थी न अब अदावत थी
मुन्तज़िर सिर्फ तुम नहीं थे कल
शहर भर में हमारी दावत थी
इसलिए रिश्ते नाते छूट गए
हमको सच बोलने की आदत थी
हमको कमअक्ल ही रखा तुमने
उम्र तुमसे यही शिकायत थी
बेवफाई ने जां ले ली वरना
प्यार करना तो उसकी आदत थी
मेरी सुनता न था कोई "कातिब"
शहर में आज ऐसी वहशत थी
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