Yusuf Kamran

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@yusuf-kamran

Yusuf Kamran shayari collection includes sher, ghazal and nazm available in Hindi and English. Dive in Yusuf Kamran's shayari and don't forget to save your favorite ones.

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Shayari
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  • Nazm
कल शाम नहर की पटरी के साथ साथ
मैं अपने ना-तवाँ कंधों पर
एक शिकस्ता बोरी उठाए जा रहा था
कि चीख़-ओ-पुकार शुरूअ' हुई
पकड़ो पकड़ो क़ातिल क़ातिल

नहर पर मुतअय्यन पुलीस चौकी के मुस्तइद अमले ने
संगीनों से मेरा तआ'क़ुब किया
मैं अपनी तमाम-तर क़ुव्वत से भागने के बावजूद
चंद ही लम्हों में उन की आहनी गिरफ़्त में था

पुलीस चौकी में सवालों की बोछाड़ से
मेरी क़ुव्वत-ए-गोयाई जवाब दे गई
एक मकरूह सूरत मोंछों वाला बा-वर्दी शख़्स
वहशत-नाक आँखों से अमले की तरफ़ देखते हुए
अपनी शदीद करख़्त आवाज़ में चीख़ा
बोरी का मुँह खोलो
सारा अमला शश्दर रह गया
कि बोरी में लिपटी हुई लाश मेरी ही थी
और मैं चुप साधे उसे तक रहा था
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ये आग पानी हवा ये मिट्टी
ये वाहिमों की करिश्मा-साज़ी
ये इल्म-ओ-फ़न के तमाम क़िस्से
ये अक़्ल-ओ-दानिश की सारी बातें
ये सब दिलासे बनावटी हैं
मैं दोस्तों दुश्मनों की ज़द में हूँ
हर कोई पेश-गोइयों के दराज़ क़िस्से सुना रहा है
कि सब को अपने करंसी नोटों की फ़िक्र है
हर कोई तलब और रसद के चक्कर में
अपने भाव चढ़ा रहा है
खुली फ़ज़ाओं में पर समेटे हुए परिंदे भी
आने वाली सऊबतों के मुहीब मंज़र दिखा रहे हैं
ये क्या है सब कुछ कि कुछ नहीं है
हवास की दस्तरस से बाला
मिरे लिए सिर्फ़ वो सदाक़त है
जो मिरे जिस्म-ओ-जाँ को छू कर गुज़र रही है
कि मैं हक़ीक़ी मुशाहिदों तजरबों की भट्टी में जल रहा हूँ
ये आग पानी हवा न मिट्टी है
सिर्फ़ मैं हूँ
ये सिर्फ़ मैं हूँ
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