ज़माना था वही अच्छा हमारा भी तुम्हारा भी
कि जिस में एक था रस्ता हमारा भी तुम्हारा भी
कसाफ़त हिज्र की चेहरों से ज़ाहिर क्यों न हो जाए
कि जब है हाल इक जैसा हमारा भी तुम्हारा भी
बुज़ुर्गों ने कहा था जो वही दरपेश आ पहुँचा
मुहब्बत की तो दिल टूटा हमारा भी तुम्हारा भी
यही कहते हुए हम तुम जुदा हो जाएँगे इक दिन
कभी तो फिर मिलन होगा हमारा भी तुम्हारा भी
तुम्हारे इश्क़ में हम भी परिंदा बन के रह लेंगे
अगर हो एक ही पिंजरा हमारा भी तुम्हारा भी
ज़माने के झमेलों में अगर हम तुम उलझ जाते
बहुत नुक़सान हो जाता हमारा भी तुम्हारा भी
वफ़ा की सेज पर इक साथ फिर सोएँगे हम दोनों
अगर पूरा हुआ सपना हमारा भी तुम्हारा भी
बुलंद अपना करो मे'यार तो ऐ यार मुमकिन है
रहेगा बज़्म में जलवा हमारा भी तुम्हारा भी
जुदा वो 'फ़ैज़' हम से हो गए ख़ुद जो ये कहते थे
बहुत मज़बूत है रिश्ता हमारा भी तुम्हारा भी
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