तिरे जलवों के चर्चे हो रहे हैं माह पारों में
मचलते हैं तिरे होंटों के नग़्मे आबशारों में
ज़मीन ओ आसमाँ रंगे गए हैं रंग से तेरे
तिरा ही हुस्न आया है निखर कर लाला ज़ारों में
तिरे नज़दीक आ जाने से इस दिल का ये आलम है
कि जैसे नाचते हैं मोर ख़ुश हो कर बहारों में
फ़लक पर कहकशाँ की माँग भरने कौन आया है
अजब इक खलबली सी मच गई है क्यों सितारों में
तुम्हारा शुक्रिया तुम आ गए हो बर सर-ए-महफ़िल
हुई है यक ब यक हलचल सी साज़-ए-दिल के तारों में
इनायत है ख़ुदा की, ये तुम्हारा हुस्न-ए-ला-सानी
अलग सबसे नज़र आते हो तुम मुझ को हज़ारों में
नज़र में फ़ैज़ आ जाता है मंज़र क़ैस लैला का
मुसाफ़िर जब सफ़र करता है कोई रेगज़ारों में
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