वक़्त ज़ाया कोई भी बेकार करता है नहीं
बेसबब कोई किसी से प्यार करता है नहीं
काम जाने कब किसी से यार पड़ जाए तुम्हें
हमसरी नादान की हुश्यार करता है नहीं
पीठ पीछे गालियाँ दे यार लेकिन सामने
दुश्मनी की बात तो ग़द्दार करता है नहीं
जिससे ज़ाहिर हो हक़ीक़त आज के माहौल की
काम ऐसा अब कोई अख़बार करता है नहीं
ख़ुद बिके हैं लोग आकर रोज़ इस बाज़ार में
बेचने का काम तो बाज़ार करता है नहीं
तुमने आख़िर किस तरह से ग़ैर को दिल दे दिया
दोस्त कोई पीठ पर तो वार करता है नहीं
ये सलीक़े से दिलों को जोड़ता आया यहाँ
दिल शिकस्ता तो कभी फ़नकार करता है नहीं
कौन सी ऐसी ख़ता मुझसे हुई है दोस्तों
क्यों भरोसा मुझपे मेरा यार करता है नहीं
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