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पहले बहुतों की आंखों से उतरा हूं मैं - Shashank Shrivastava

पहले बहुतों की आंखों से उतरा हूं मैं
बाद कही तेरे चश्मों में ठहरा हूं मैं

इक बस तुमको ही अपना सा लगता हूँ मैं
औरों के लिए एक पराया चहरा हूं मैं

तुम सबसे सुन्दर गुल हो मेरे बाग का सो
करने को हिफ़ाज़त ही बना इक पहरा हूं मैं

एक तुम्हारे दर तक आने की ख़ातिर ही
गलिया गलिया रस्ता रस्ता भटका हूं मैं

तुम से मिल कर शायद मैं मुकम्मल हो जाऊं
सो ख़्वाबों में भी तेरे संग रहता हूं मैं

- Shashank Shrivastava

Aankhein Shayari

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