डूबता जाता हूँ मैं यार तिरी आँखों में
कोई दरिया हैं नुमूदार तिरी आंखों में
लाख गुस्सा तू करे फिर भी तिरी चाहत हैं
मुझको आता हैं नज़र प्यार तिरी आँखों में
ये समंदर तिरी आँखों का बदल लगता हैं
लहरे उठती हैं लगातार तिरी आँखों में
चूम कर सोए थे तस्वीर में आंखे तेरी
हम हुए सुब्ह को बे-दार तिरी आँखों में
इक फ़क़त मैं ही नहीं जिसने गवाई सुध-बुध
खो गए कितने ही फनकार तिरी आंखों में
कोई तैराक ही उस पार उतर सकता हैं
न सफीना हैं न पतवार तिरी आँखों में
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