पूछता हूँ मैं तुमसे क़िस्मतों लिखा क्या है
देखना है बाक़ी क्या और रह गया क्या है
साल बदला है बस इक दुख वही पुराना है
रोज़ फिर वही रोना इसमें अब नया क्या है
इस तरह तो ये रिश्ता ख़ैर चल नहीं सकता
कह रहा है वो मुझसे देख लो बचा क्या है
मैंने ज़िंदगी अपनी इक अज़ाब कर ली और
आप कहते हैं इसमें यार मसअला क्या है
छोड़ देने पर भी तू ख़ुश नहीं अगर तो फिर
छोड़ कर मुझे तुझको ये बता मिला क्या है
एक बद्दुआ क्या ही लग गई मुझे आकर
तब मुझे समझ आया ये बला दुआ क्या है
सच कहूँ तो ये हालत ला-'इलाज है अपनी
मुझको लग नहीं पाई जब दुआ दवा क्या है
आप कह दें तो मरना छोड़ सकता हूँ लेकिन
आप इतना कह दें बस इस में फ़ाइदा क्या है
डेट रक्खी है मेरे जन्म-दिन पे शादी की
ये बुरा नहीं है तो फिर कहो बुरा क्या है
Read Full