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दिल तेरी नज़र की शह पा कर मिलने के बहाने ढूँढे है - Taj Bhopali

दिल तेरी नज़र की शह पा कर मिलने के बहाने ढूँढे है
गीतों की फ़ज़ाएँ माँगे है ग़ज़लों के ज़माने ढूँढे है

आँखों में लिए शबनम की चमक सीने में लिए दूरी की कसक
वो आज हमारे पास आ कर कुछ ज़ख़्म पुराने ढूँढे है

क्या बात है तेरी बातों की लहजा है कि है जादू कोई
हर आन फ़ज़ा में दिल उड़ कर तारों के ख़ज़ाने ढूँढे है

पहले तो छुटे ये दैर-ओ-हरम फिर घर छूटा फिर मय-ख़ाना
अब 'ताज' तुम्हारी गलियों में रोने के ठिकाने ढूँढे है

- Taj Bhopali

Dil Shayari

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