Ejaz Warsi

Ejaz Warsi

@ejaz-warsi

Ejaz Warsi shayari collection includes sher, ghazal and nazm available in Hindi and English. Dive in Ejaz Warsi's shayari and don't forget to save your favorite ones.

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  • Ghazal
ख़ून-ए-नाहक़ थी फ़क़त दुनिया-ए-आब-ओ-गिल की बात
ये है महशर क्यूँ यहाँ हो दामन-ए-क़ातिल की बात

आज क्यूँ अश्कों में है अक्स-ए-तबस्सुम जल्वा-गर
आ गई क्या अपनी हद पर ग़म के मुस्तक़बिल की बात

हर नज़र रंगीनी-ए-रुख़ तक पहुँच कर रह गई
फूल अब किस से कहें गुलशन में ज़ख़्म-ए-दिल की बात

देखते ही रह गए क़ानून-ए-क़ुदरत अहल-ए-ज़ब्त
ले उड़ी ख़ाकिस्तर-ए-परवाना जब महफ़िल की बात

नाख़ुदा हम और तूफ़ाँ से करें फ़िक्र-ए-फ़रार
हम कभी करते नहीं साहिल पे भी साहिल की बात

हो न जाए फिर शुऊ'र-ए-कारवाँ नज़्र-ए-फ़रेब
छेड़ दी है राहबर ने आज फिर मंज़िल की बात

कोई अपना है न कोई हमदम-ओ-दर्द-आश्ना
ऐ ख़ुदा किस से कहे 'एजाज़' अपने दिल की बात
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Ejaz Warsi
दिल बुझ गया तो गर्मी-ए-बाज़ार भी नहीं
अब ज़िक्र-ए-बादा-ओ-लब-ओ-रुख़सार भी नहीं

अपना था ख़ल्वतों में कभी परतव-ए-जमाल
क़िस्मत में अब तो साया-ए-दीवार भी नहीं

शिकवा ज़बाँ पे फूल से अहबाब का ग़लत
ऐ दोस्त मुझ को तो गिला-ए-ख़ार भी नहीं

आया न रास आप को ऐ शैख़ रोज़-ए-हश्र
और लुत्फ़ ये है आप गुनाहगार भी नहीं

क़ाएम हूँ अपनी तौबा पे मैं आज भी मगर
कोई हसीं पिलाए तो इंकार भी नहीं

क्या कीजिए नुमाइश-ए-ग़म ख़ून-ए-दिल के बा'द
अब आरज़ू-ए-दीदा-ए-ख़ूँबार भी नहीं

ऐलान-ए-बे-ख़ुदी है हर इक क़तरा-ए-लहू
मेरे जुनूँ की हद रसन-ओ-दार भी नहीं

नूर-ए-सहर के नाम पे भटकें न क़ाफ़िले
दर-अस्ल अभी तो सुब्ह के आसार भी नहीं

वाइज़ ख़याल-ए-तौबा बजा है मगर अभी
मैं तो ब-क़द्र-ए-ज़र्फ़ गुनाहगार भी नहीं
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Ejaz Warsi
किसी के शिकवा-हा-ए-जौर से वाक़िफ़ ज़बाँ क्यूँ हो
ग़म-ए-दिल आग तो लग ही चुकी लेकिन धुआँ क्यूँ हो

मोहब्बत में विसाल-ओ-हिज्र की तमईज़ क्या मा'नी
बिसात-ए-इश्क़ पर बाज़ीचा-ए-सूद-ओ-ज़ियाँ क्यूँ हो

जबीं साइल थी नादिम है मगर ऐ सज्दा-ए-आख़िर
मिरी महरूमियों से बे-तअल्लुक़ आस्ताँ क्यूँ हो

ख़ुदावंदा चमन में तो नशेमन ही नशेमन हैं
नज़र में बर्क़ की सिर्फ़ एक शाख़-ए-आशियाँ क्यूँ हो

रिवायात-ए-कुहन को अज़्म-ए-नौ ख़ातिर में क्या लाए
ज़मीर-ए-कारवाँ पाबंद-ए-मीर-ए-कारवाँ क्यूँ हो

ये माना एक आँसू है मगर ऐ सई-ए-ज़ब्त-ए-ग़म
सर-ए-मिज़्गाँ ये इक आँसू भी दिल का तर्जुमाँ क्यूँ हो

ज़माना जब भुला ही बैठा 'एजाज़'-ए-हज़ीं तुझ को
कोई अब मेहरबाँ क्यूँ हो कोई ना-मेहरबाँ क्यूँ हो
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Ejaz Warsi
कार-ए-ख़ैर इतना तो ऐ लग़्ज़िश-ए-पा हो जाता
पाए साक़ी पे ही इक सज्दा अदा हो जाता

वो तो ये कहिए कि मजबूर है नज़्म-ए-हस्ती
वर्ना हर बंदा-ए-मग़रूर ख़ुदा हो जाता

क़ाफ़िले वाले थे महरूम-ए-बसीरत वर्ना
मेरा हर नक़्श-ए-क़दम राह-नुमा हो जाता

ग़म के मारों पे भी ऐ दावर-ए-हश्र एक नज़र
आज तो फ़ैसला-ए-अहल-ए-वफ़ा हो जाता

यूँ अंधेरों में भटकते न कभी अहल-ए-ख़िरद
कोई दीवाना अगर राह-नुमा हो जाता

दिल तिरी नीम-निगाही का तो मम्नून सही
दर्द अभी कम है ज़रा और सिवा हो जाता

लज़्ज़त-ए-ग़म से है ज़िद फ़ितरत-ए-ग़म को शायद
दर्द ही दर्द न क्यूँ दर्द दवा हो जाता

सुन के भर आता अगर उन का भी दिल ऐ 'एजाज़'
क़िस्सा-ए-दर्द का उन्वान नया हो जाता
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Ejaz Warsi
मदावा-ए-जुनूँ सैर-ए-गुलिस्ताँ से नहीं होता
रफ़ू-ए-चाक-ए-दिल तार-ए-गरेबाँ से नहीं होता

ब-जुज़ मंज़िल कहीं राहत नहीं मिलती मुसाफ़िर को
इलाज-ए-आबला-पाई बयाबाँ से नहीं होता

हिजाब-ए-दोस्त ने बख़्शा है वो लुत्फ़-ए-यक़ीं दिल को
कि ये आसूदा अब हुस्न-ए-नुमायाँ से नहीं होता

जिला होती है ज़र्फ़-ए-ज़ीस्त पर तन्क़ीद-ए-दाना से
मुदावा नफ़्स का चश्म-ए-सना-ख़्वाँ से नहीं होता

ब-क़द्र-ए-ज़र्फ़ फ़ितरत करती है बालीदगी दिल की
ये वो कार-ए-अहम है जो दबिस्ताँ से नहीं होता

किया है रू-शनास-ए-अफ़्व मैं ने तेरी रहमत को
लिया वो काम इस्याँ से जो ईमाँ से नहीं होता

जिगर के दाग़ ही मरक़द में काम 'एजाज़' आएँगे
उजाला ऐसी ज़ुल्मत में चराग़ाँ से नहीं होता
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Ejaz Warsi
राह-ए-तलब में अहल-ए-दिल जब हद-ए-आम से बढ़े
कश्मकश-ए-हयात के और भी हौसले बढ़े

किस से ये पूछिए भला तिश्ना-लबों को क्या मिला
कहने को यूँ तो रोज़ ही सैकड़ों मय-कदे बढ़े

कोशिश-ए-पैहम आफ़रीं मंज़िल अब आ गई क़रीब
मुज़्दा हो आरज़ू-ए-दिल पाँव के आबले बढ़े

आते ही उस ने बज़्म में रुख़ पे नक़ाब डाल ली
हाए वो मंज़र-ए-हसीं जैसे दिए जले बढ़े

वक़्त की आज़माइशें लाती हैं ज़ीस्त पर निखार
फूलों को देख लीजिए काँटों में जो पले-बढ़े

ताबिश-ए-हुस्न-ए-यार ने छीन ली ताब-ए-अर्ज़-ए-शौक़
जितने क़रीब आए वो उतने ही फ़ासले बढ़े

राहों के रुख़ बदल गए मंज़िलें दूर हो गईं
ख़िज़्र के ए'तिबार पर जब कभी क़ाफ़िले बढ़े
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