ख़ुतन में मिले,न यमन में मिलेंगे
हमें मोज़िजे इस वतन में मिलेंगे
न बागों न ही हम चमन में मिलेंगे
मिलेंगे तो बज़्म ए सुख़न में मिलेंगे
यहाँ इक सफ़र है मुसलसल हमारा
कभी भी मिले हम थकन में मिलेंगे
ये निस्बत,ये रिश्ते यहीं के यहीं हैं
अनासिर के जुज़ क्या बदन में मिलेंगे
कहाँ और कितने हैं कैसे बताएँ
कि दो तीन तिल तो ज़कन में मिलेंगे
ये महलों में बैठे तो रावण हैं सारे
मेरे राम अबतक भी वन में मिलेंगे
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