कहाँ पे जी के फफोले फोड़ें कहाँ पे दिल का मवाद रक्खें
अजब तज़ब्ज़ुब में जाँ फँसी है उसे भुलाएँ कि याद रक्खें
न दिल में रक्खें न दिल ही रक्खे फ़क़त मुहब्बत का पास रख लें
वफ़ा के पुर्ज़े हवा की ज़द में उन्हें कहो मेरे बाद रक्खें
हर एक बुत है जफ़ा का पैकर हज़ार पर्दे हज़ार शक्लें
कोई वफ़ा पर ख़रा नहीं है किसी पे क्या ए'तिमाद रक्खें
जदीद लहजे के लोग हैं ये नया ज़माना नई कहानी
मैं हूँ तवारीख़ का फ़साना ये लोग क्या मुझको याद रक्खें
गली गली में हर एक लड़की हमारे लहजे पे मर मिटी है
बताओ अब किसका दिल दुखाएँ बताओ अब किसको शाद रक्खें
ख़ुदा बचाए अब ऐसे लोगों से जिनकी फ़ितरत ही दो-मुँही हो
ज़ुबान शक्कर के जैसी मीठी दिलों में फ़िक्र-ए-इनाद रक्खें
हैं भाई-चारे के हम तो हामी मुहब्बतों के मुरीद हैं हम
हमें ग़रज़ क्या है अपने दिल में जो क़स्द-ए-शोर-ओ-फ़साद रक्खें
तमाम शर्तें क़ुबूल उनकी वो जिस पे राज़ी मैं उस पे राज़ी
'करन' ख़सारे तमाम मेरे वो अपने हिस्से मफ़ाद रक्खें
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