अबद का रास्ता मालूम हो जाएगा मुझ में
कोई दिन आसमाँ मादूम हो जाएगा मुझ में
सितारे सिलसिला-दर-सिलसिला रौशन रहेंगे
मगर इक आइना मग़्मूम हो जाएगा मुझ में
कोई पूछेगा मुझ से रात की सारी कहानी
कोई आवाज़ से महरूम हो जाएगा मुझ में
तिलिस्म-ए-ख़्वाब भी खुल जाएगा उस रोज़ 'अहमद'
अयाँ हर बात का मफ़्हूम हो जाएगा मुझ में
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