कहीं ऐसा न हो ख़ुदा न करे
मुझ को तुझ से कोई जुदा न करे
मेरी जन्नत तिरी निगाह-ए-करम
मुझ से फिर जाए ये ख़ुदा न करे
बेवफ़ाई भी एक निस्बत है
क्या गिला उस से गर वफ़ा न करे
राँदा-ए-महफ़िल-ए-सनम ज़ाहिद
क्या करे गर ख़ुदा ख़ुदा न करे
उस की रहमत पे गर यक़ीन है 'ऐश'
है ख़ता गर कोई ख़ता न करे
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