उजालों की नुमाइश हो रही है
अँधेरों से भी साज़िश हो रही है
कोई मुंसिफ़ नहीं शायद मयस्सर
सितमगर से जो नालिश हो रही है
वो माने या न माने उस की मर्ज़ी
मनाने की तो काविश हो रही है
सितमगर से कोई पूछे तो इतना
ये मुझ पर क्यों नवाज़िश हो रही है
अदब की रोक कर ता'मीर ख़ुद ही
तरक़्क़ी की गुज़ारिश हो रही है
हैं चर्चे इल्म के हर इक ज़बाँ पर
मगर कमज़ोर दानिश हो रही है
नहीं इख़्लास-ए-निय्यत और 'अख़्तर'
इबादत की नुमाइश हो रही है
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