जाने कहाँ हो तुम शिकायत तुम से है
मेरी मोहब्बत की क़यादत तुम से है
इक इल्तिजा है मेरी तुम आ जाओ अब
मेरी ये सारी अब तो हिम्मत तुम से है
तुम चाहे कुछ भी सोचो मेरे हक़ में याँ
सबसे ज़ियादा अब'अक़ीदत तुम से है
क्यूँ फ़िक्र हम करते ज़माने की यहाँ
इस ज़िंदगी में बस मोहब्बत तुम से है
मेरे बहुत हैं इस ज़माने में मगर
दिल के मेरे भीतर ये ख़ल्वत तुम से है
तुम वादा करके क्यूँ नहीं आए,कहो
दिल को मेरे ये सारी नफ़रत तुम से है
मेरी कोई औक़ात तो अब है नहीं
सब जानते मुझको फ़ज़ीलत तुम से है
ता'रीफ़ अपने हुस्न की क्यूँ करते हो
मेरी सनम ही ख़ूब सूरत तुम से है
आओ यहाँ तुम तो मुझे राहत मिले
इस ज़िंदगी में अब तो 'इशरत तुम से है
पागल बना मैं जो ज़माने में फिरा
ये सारी की सारी जहालत तुम से है
कोई बुरा माने भला माने यहाँ
मुझको यहाँ दिल से मोहब्बत तुम से है
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