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हमारे ख़्वाब तन्हा हैं हमारे ग़म अकेले हैं  - Aisha Masroor

हमारे ख़्वाब तन्हा हैं हमारे ग़म अकेले हैं
घिरे हैं कितने हंगामों में फिर भी हम अकेले हैं

तुम्हारे पास भी सूखे हुए कुछ फूल हैं तन्हा
हमारे साथ भी खोए हुए मौसम अकेले हैं

चले आओ कि दिल की धड़कनों में नग़्मगी भर दें
तुम्हारा साज़ तन्हा है मिरे सरगम अकेले हैं

भरी महफ़िल में ये एहसास-ए-तन्हाई हमें क्यों है
न जाने क्यों तिरी दुनिया में या-रब हम अकेले हैं

ख़ुशी ने जिन को ठुकराया वो मंज़िल तक नहीं पहुँचे
सुना है आज तक आवारगान-ए-ग़म अकेले हैं

न जाने लोग पीछे रह गए या दूर जा पहुँचे
जहाँ तक देखते हैं रास्ते में हम अकेले हैं

- Aisha Masroor

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