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अब ज़ेहन में और उसको गहरा कर लिया - Chetan Dadhich

अब ज़ेहन में और उसको गहरा कर लिया
उस चाँद को जब मैंने चेहरा कर लिया

महताब जैसे छुप गया हो अब्र में
ज़ुल्फों ने जब रुख़ पे यूँ पहरा कर लिया

दरकार थी इक साथ की फिर जब मुझे
हर यार ने ख़ुद को ही बहरा कर लिया

इक शख़्स के आगे वो बेपर्दा हुआ
ज़ालिम ने मेरा इश्क़ तिहरा कर लिया

ऐसी भी 'चेतन' तुम पे क्या गुज़री है जो
इक इश्क़ में ही दिल को सहरा कर लिया

- Chetan Dadhich

Zulf Shayari

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