Lucky farooqi Hasrat

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Lucky farooqi Hasrat shayari collection includes sher, ghazal and nazm available in Hindi and English. Dive in Lucky farooqi Hasrat's shayari and don't forget to save your favorite ones.

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  • Ghazal
तल्ख़-साज़ी ने हमें ग़म के सिवा कुछ न दिया
बे-नियाज़ी ने हमें ग़म के सिवा कुछ न दिया

हम कोई कृष्न नहीं थे की थिरकती राधा
नय-नवाज़ी ने हमें ग़म के सिवा कुछ न दिया

ये कटे हाथ ये नासूर-ए-बदन शाहिद हैं
तेग़-बाज़ी ने हमें ग़म के सिवा कुछ न दिया

उस के होंटों में कई रंग थे रुस्वाई के
बोसा-बाज़ी ने हमें ग़म के सिवा कुछ न दिया

हर तबस्सुम के तआ'क़ुब में कई आँसू हैं
दिल-नवाज़ी ने हमें ग़म के सिवा कुछ न दिया

जिस्म परहेज़ की तश्हीर बना बैठा है
चारासाज़ी ने हमें ग़म के सिवा कुछ न दिया

कोई मोहरा न ज़फ़र-याब हुआ चाहत का
दिल की बाज़ी ने हमें ग़म के सिवा कुछ न दिया

दिल की मस्जिद में तिरी याद है पाबंद-ए-सलात
इस नमाज़ी ने हमें ग़म के सिवा कुछ न दिया
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Lucky farooqi Hasrat
इश्क़ तारों से न महताब से दिलदारी की
रात ने धूप के बिस्तर पे सियह-कारी की

मैं वो दहक़ान-ए-जुनूँ-ख़ेज़ हूँ जिस ने अपने
जिस्म के खेत में ज़ख़्मों की शजर-कारी की

मुद्दतों लटकी रही मोम की ज़ंजीर से लाश
बर्फ़ के सूखे हुए पेड़ पे चिंगारी की

चंद साँसों के लिए अपना मुदावा करके
तू ने अमराज़-ए-ख़ुदा-दाद से ग़द्दारी की

कुछ तग़य्युर की ये रातें भी बहुत लम्बी हैं
कुछ मिरी क़ौम को आदत नहीं बेदारी की

सुई के छेद से हाथी का गुज़र मुमकिन है
इसे कहते हैं तख़य्युल की बहुत बारीकी

तुम ने लफ़्ज़ों की नुमाइश पे फ़क़त ध्यान दिया
मैं ने काग़ज़ के हसीं जिस्म पे गुल-कारी की

रूह पर इत्र लगा के मिरे पास आया कर
तेरे किरदार से बू आती है मक्कारी की

बज़्म-ए-दानिश में न मुँह खोलना अपना 'हसरत'
तुझ से उम्मीद नहीं मुझ को समझदारी की
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Lucky farooqi Hasrat
मो'जिज़ा मानिए या कहिए करिश्मा दिल का
दिल के क़ालीन पे रक्खा है जनाज़ा दिल का

कीजिए इश्क़ मगर याद-दहानी में रहे
कोई दिल का न हुआ और न होगा दिल का

अपने कानों में पहन ले मेरे दिल की धड़कन
मैं तिरे वास्ते लाया हूँ ले झुमका दिल का

ज़िंदगी नाम के पंडित ने जिसे खींचा था
मिट गया एक ही दौरे में वो क़श्क़ा दिल का

चारागर हम पे जराहत का फ़ुसूँ ख़र्च न कर
न हुआ है न कभी होगा मुदावा दिल का

ख़ून में भीगे हुए फूल दुआ देंगे तुझे
अपने जूड़े में सजा ले कभी गजरा दिल का

न किसी गीत से रग़बत न शग़फ़ नग़्मों से
सिर्फ़ मीरा के भजन सुनता है कान्हा दिल का

चैन उमीद सुकूँ दर्द तवक़्क़ो धड़कन
बिक गया हिज्र के बाज़ार में क्या क्या दिल का

तेरी तस्वीर मुज़य्यन है कई बरसों से
तू ने देखा नहीं शायद कभी बटवा दिल का
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