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कहना सुनना छूट चुका है - Jai Prakash Narayan Pandey

कहना सुनना छूट चुका है
दुनिया ने ऐसे लूटा है

कहने को उर्दू है आती
क्या वो इतना पढ़ा लिखा है

वहशी जिसको सब कहते हैं
मुझको तो आ'शिक़ लगता है

मेरा दिल दरिया है मानो
दरिया जो कब से सूखा है

तुमको है चाहत फूलों की
काँटों का भी दिल होता है

दुनिया ग़ुस्सा हो जाएगी
तेरी मेरी वो मंशा है

बूँद बूँद से बनता सागर
भरने से सब कुछ भरता है

और सुनो इक बात पते की
सैदा भी यारों शैदा है

ख़त लिखने का समय नहीं था
झगड़ा करने जो आया है

मुझे पता है धोखा देगा
वादे पे वादा करता है

दरिया मुझसे आँसू माँगे
देखो तो कितना प्यासा है

इ'श्क़ मुहब्बत मुझसे सीखो
क़ैस मिरा भाई लगता है

'शहरग' बस ग़ज़लें कहते हो
और तुम्हें आता क्या क्या है

- Jai Prakash Narayan Pandey

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