कहना सुनना छूट चुका है
दुनिया ने ऐसे लूटा है
कहने को उर्दू है आती
क्या वो इतना पढ़ा लिखा है
वहशी जिसको सब कहते हैं
मुझको तो आ'शिक़ लगता है
मेरा दिल दरिया है मानो
दरिया जो कब से सूखा है
तुमको है चाहत फूलों की
काँटों का भी दिल होता है
दुनिया ग़ुस्सा हो जाएगी
तेरी मेरी वो मंशा है
बूँद बूँद से बनता सागर
भरने से सब कुछ भरता है
और सुनो इक बात पते की
सैदा भी यारों शैदा है
ख़त लिखने का समय नहीं था
झगड़ा करने जो आया है
मुझे पता है धोखा देगा
वादे पे वादा करता है
दरिया मुझसे आँसू माँगे
देखो तो कितना प्यासा है
इ'श्क़ मुहब्बत मुझसे सीखो
क़ैस मिरा भाई लगता है
'शहरग' बस ग़ज़लें कहते हो
और तुम्हें आता क्या क्या है
Our suggestion based on your choice
As you were reading Shayari by Jai Prakash Narayan Pandey
our suggestion based on Jai Prakash Narayan Pandey
As you were reading Miscellaneous Shayari