0

उन के क़िस्से अगर बयाँ होते  - Ahmad Adil

उन के क़िस्से अगर बयाँ होते
राज़ सारे तभी अयाँ होते

तुम को आते हुनर जो रहज़न के
बस तुम्ही मीर-ए-कारवाँ होते

बैर हम से सही मगर सोचो
हम न होते तो तुम कहाँ होते

ज़िंदगी वो जगह दिखा दे अब
तुझ को पाते तो हम जहाँ होते

उन की महफ़िल में दिल नहीं लगता
जब वो औरों में शादमाँ होते

ये मुकम्मल अगर जहाँ होता
फिर ख़लाओं में क्यूँ जहाँ होते

सोच में क़ुर्बतें अगर होतीं
फ़ासले यूँ न दरमियाँ होते

तुम ही गोशा-नशीन थे 'आदिल'
वर्ना चर्चे कहाँ कहाँ होते

- Ahmad Adil

Miscellaneous Shayari

Our suggestion based on your choice

More by Ahmad Adil

As you were reading Shayari by Ahmad Adil

Similar Writers

our suggestion based on Ahmad Adil

Similar Moods

As you were reading Miscellaneous Shayari