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तुमको खोकर के ख़ुश नहीं हैं हम - Ved prakash Pandey

तुमको खोकर के ख़ुश नहीं हैं हम
दूर हो कर के ख़ुश नहीं हैं हम

दर्द कम होता है रो लेने से गर
फिर क्यों रोकर के ख़ुश नहीं हैं हम

ऐसे कुछ काम भी थे ज़िन्दगी में
यार जो कर के ख़ुश नहीं हैं हम

इश्क़ ऐसा गुनाह है जिसका
पाप धोकर के ख़ुश नहीं हैं हम

क्यों झिझक हो हमें ये कहने में
तेरे होकर के ख़ुश नहीं हैं हम

हाय इक मुस्कुराते चेहरे में
ग़म पिरो कर के ख़ुश नहीं हैं हम

तेरे दरिया-ए-इश्क़ में अपना
दिल डुबो कर के ख़ुश नहीं हैं हम

यार तेरे बिना जवानी का
बोझ ढोकर के ख़ुश नहीं हैं हम

इक ख़ुशी के गुबारे में अपना
ग़म चुभोकर के ख़ुश नहीं हैं हम

जानेजाँ अब फ़िराक़ में तेरी
शब भिगो कर के ख़ुश नहीं हैं हम

किससे शिकवा करें कि क्यों ख़ुद को
इक से दो करके ख़ुश नहीं हैं हम

मांँग में तेरी अपने सपनों का
खू़ँ सँजो कर के ख़ुश नहीं है हम

डूबने वाले जानते ही नहीं
लाश ढोकर के ख़ुश नहीं हैं हम

दुनिया वालों तुम्हारी दुनिया में
साँसे ढोकर के ख़ुश नहीं हैं हम

इस मुहब्बत के दश्त में "कातिब"
ज़हर बोकर के ख़ुश नहीं हैं हम

- Ved prakash Pandey

Judai Shayari

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