Dheerendra Singh Faiyaz

Dheerendra Singh Faiyaz

@dheerendra-singh-faiyaz

Dheerendra Singh Faiyaz shayari collection includes sher, ghazal and nazm available in Hindi and English. Dive in Dheerendra Singh Faiyaz's shayari and don't forget to save your favorite ones.

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  • Ghazal
रख ली माथे पे शिकन उस की निशानी जैसे
नए घर में हो रखी चीज़ पुरानी जैसे

ऐसे भूली है मिरी आँख हुनर रोने का
किसी झरने से बिछड़ जाए रवानी जैसे

तेरी आँखों से भला कैसे हटाऊँ आँखें
मुझ पे खुलते ही नहीं इन के मआ'नी जैसे

आइना कहने लगा कुछ कमी तुझ में भी है
हम ने भी पूछ धरा उस से कि या'नी जैसे

वो किसी शे'र में ढल जाए ग़नीमत वर्ना
उस को तफ़्सील से लिक्खूंगा कहानी जैसे

हम तिरे हिज्र में सहरा की तरफ़ क्यों भागें
हम ने सीखी ही नहीं ख़ाक उड़ानी जैसे

मैं ने हर रोज़ तुझे दिल से निकाला तो मगर
किसी दरिया से निकाले कोई पानी जैसे

क्या बुरा है कि जो बातिन है वही ज़ाहिर है
हम को आती ही नहीं बात बनानी जैसे
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Dheerendra Singh Faiyaz
हम अपने आप को इतना बदल नहीं सकते
तुम्हारे कहने से चेहरा बदल नहीं सकते

बदलना चाहें अगर क्या बदल नहीं सकते
मगर जो हाल है दिल का बदल नहीं सकते

तुम्हारे वास्ते या'नी बदल चुके हैं बहुत
अब और ख़ुद को ज़ियादा बदल नहीं सकते

अजीब लोग हैं दुनिया बदलना चाहते हैं
मगर वो ख़ुद को ज़रा सा बदल नहीं सकते

डरे हुए हैं समुंदर मिरी रवानी से
मगर वो चाह के रस्ता बदल नहीं सकते

हमारी ज़ात को मुद्दत में ये हुआ है नसीब
अब अपने जीने का लहजा बदल नहीं सकते

अलावा दुख के तिरी क़िस्मतों में हम भी हैं
नसीब तेरा लिहाज़ा बदल नहीं सकते

वो एक दूजे से आँखें बदलते रहते हैं
जो लोग रोज़ का रोना बदल नहीं सकते

बदल रहा है रवय्या ज़रा ज़रा ही सही
अब एक दिन में तो सारा बदल नहीं सकते
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