Akram Naqqash

Akram Naqqash

@akram-naqqash

Akram Naqqash shayari collection includes sher, ghazal and nazm available in Hindi and English. Dive in Akram Naqqash's shayari and don't forget to save your favorite ones.

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  • Ghazal
तू साथ है मगर कहीं तेरा पता नहीं
शाख़ों पे दूर तक कोई पत्ता हरा नहीं

ख़ामोशियाँ भरी हैं फ़ज़ाओं में इन दिनों
हम ने भी मौसमों से इधर कुछ कहा नहीं

तू ने ज़बाँ न खोली सुख़न मैं ने चुन लिए
तू ने वो पढ़ लिया जिसे मैं ने लिखा नहीं

ये कौन सी जगह है ये बस्ती है कौन सी
कोई भी इस जहान में तेरे सिवा नहीं

चलिए बहुत क़रीब से सब देखना हुआ
अपने गुमाँ से हट के कहीं कुछ हुआ नहीं

छोड़ा है जाने किस ने मुझे बाल-ओ-पर के साथ
ये किन बुलंदियों पे जहाँ पर हवा नहीं

रंग-ए-तलब है कौन सी मंज़िल में क्या कहें
आँखों में मुद्दआ नहीं लब पर सदा नहीं

पीछे तिरे ऐ राहत-ए-जान कुछ न पूछियो
क्या क्या हुआ नहीं यहाँ क्या कुछ हुआ नहीं
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Akram Naqqash
दश्त को ढूँडने निकलूँ तो जज़ीरा निकले
पाँव रख्खूँ जो मैं वीराने में दुनिया निकले

एक बिफरा हुआ दरिया है मिरे चार तरफ़
तू जो चाहे इसी तूफ़ाँ से किनारा निकले

एक मौसम है दिल ओ जाँ पे फ़क़त दिन हो कि रात
आसमाँ कोई हो दिल पर वही तारा निकले

देखता हूँ मैं तिरी राह में दाम-ए-हैरत
रौशनी रात से और धूप से साया निकले

इस से पहले ये कभी दिल ने कहा ही कब था
रात कुछ और बढ़े चाँद दोबारा निकले

आँख झुकती है तो मिलती है ख़मोशी को ज़बाँ
बंद होंटों से कोई बोलता दरिया निकले

इश्क़ इक ऐसी हवेली है कि जिस से बाहर
कोई दरवाज़ा खुले और न दरीचा निकले

सेहर ने तेरे अजब राह सुझाई हमदम
हम कहाँ जाने को निकले थे कहाँ आ निकले
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Akram Naqqash