Dinesh Kumar Drouna

Dinesh Kumar Drouna

@dinesh-kumar-drouna

Dinesh Kumar Drouna shayari collection includes sher, ghazal and nazm available in Hindi and English. Dive in Dinesh Kumar Drouna's shayari and don't forget to save your favorite ones.

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  • Ghazal
ख़ुद से ख़ुदी के ऐब छुपाना फ़ुज़ूल है
यूँ आईने को आँख दिखाना फ़ुज़ूल है

एहसास को मज़ाक़ बनाना फ़ुज़ूल है
तुम को तो दिल की बात बताना फ़ुज़ूल है

पानी से दिल की आग बुझाना फ़ुज़ूल है
ऐ शख़्स आँसुओं में नहाना फ़ुज़ूल है

मुमकिन है नींद नींद न हो कर बहाना हो
वो सो नहीं रहा तो जगाना फ़ुज़ूल है

उस ने जो ठान ही ली अगर ख़ुद-कुशी की तो
फिर तो उसे उसी से बचाना फ़ुज़ूल है

हम लाख तजरबों से यही कह रहे हैं अब
इक-तरफ़ा रब्त हो तो निभाना फ़ुज़ूल है

जल्वा-नुमा हैं आप अगर ख़्वाब ही में तो
फिर तो हमारा होश में आना फ़ुज़ूल है

है ये तक़ाज़ा रस्म-ए-अदब का वगर्ना तो
मैं जानता हूँ हाथ मिलाना फ़ुज़ूल है
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Dinesh Kumar Drouna
रुवाँसी शाम है बाक़ी अभी तो रत-जगे होंगे
उन्हें खोने से पहले जाने कितने वसवसे होंगे

वो कहते थे नहीं जी पाएँगे हो कर जुदा तुम से
मैं अक्सर सोचता हूँ क्या वो सच-मुच मर गए होंगे

हमारे टूटने में आप का कुछ भी नहीं माना
हमीं शीशा रहे होंगे हमीं पत्थर रहे होंगे

मैं उन की याद में दिन भर यही सब फ़र्ज़ करता हूँ
अभी ये कर रहे होंगे अभी वो कर रहे होंगे

ये लग-भग ग़ैर-मुमकिन है सभी को मुतमइन रखना
वो जो सब की नज़र में हैं भले वो क्या भले होंगे

हमारे ज़ेहन से परियों के क़िस्से क्यों नहीं जाते
बड़े तो हैं मगर क्या हम कभी सच-मुच बड़े होंगे

पड़ा रहने दो अपने हाल पर हम को मसीहाओं
कि सूखे ज़र्द पत्ते बारिशों से क्या हरे होंगे
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