Bakul Dev

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Bakul Dev shayari collection includes sher, ghazal and nazm available in Hindi and English. Dive in Bakul Dev's shayari and don't forget to save your favorite ones.

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  • Ghazal
हमें रास आनी है राहों की गठरी
रखो पास अपनी पनाहों की गठरी

बदल जाए काश इस हसीं मरहले पर
हमारी तुम्हारी गुनाहों की गठरी

मोहब्बत की राहें थीं हमवार लेकिन
हमीं ढो न पाए निबाहों की गठरी

तकल्लुफ़ के सामान बिखरे थे बाहम
सो बाँधे रहे हम भी बाँहों की गठरी

उजाले के हैं इन दिनों दाम ऊँचे
चलो लूट लें रू-सियाहों की गठरी

धरी रह गई मुंसिफ़-ए-दिल के आगे
बयानों की गठरी गवाहों की गठरी

न उगली ही जाए न निगले बने है
गले में फँसी एक आहों की गठरी

ये सूखी हुई फ़स्ल-ए-ग़म जी उठेगी
अगर खुल गई इन निगाहों की गठरी

उठेंगी किसी रोज़ सैलाब बन कर
ये आबादियाँ हैं तबाहों की गठरी

मिरी सीधी सादी सी बातों पे मत जा
मिरी ज़ात है कज-कुलाहों की गठरी
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Bakul Dev
समाअ'त के लिए इक इम्तिहाँ है
ख़मोशी इन दिनों मिस्ल-ए-बयाँ है

सफ़र अपने ही भीतर कर रहा हूँ
मिरा ठहराव मुद्दत से रवाँ है

हवस शामिल है थोड़ी सी दुआ में
अभी इस लौ में हल्का सा धुआँ है

नया इक ख़्वाब देखें और रोएँ
अब इतनी ताब आँखों में कहाँ है

उड़ा देती है अपनी ख़ाक जब तब
ज़मीं की जुस्तुजू भी आसमाँ है

तभी आहों के सुर उठते हैं इस से
हमारा सोज़-ए-जाँ ही साज़-ए-जाँ है

हमेशा दूर से देखा किया हूँ
जहाँ मुझ को जवाहिर की दुकाँ है

मिरा किरदार इस में हो गया गुम
तुम्हारी याद भी इक दास्ताँ है

मोहब्बत एक कश्ती मुख़्तसर सी
तमन्नाओं का दरिया बे-कराँ है

मैं सारे फ़ासले तय कर चुका हूँ
ख़ुदी जो दरमियाँ थी दरमियाँ है

'बकुल' ख़्वाबों के पंछी आ बसे हैं
हमारा आशियाँ अब आशियाँ है
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