G R Kanwal

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G R Kanwal shayari collection includes sher, ghazal and nazm available in Hindi and English. Dive in G R Kanwal's shayari and don't forget to save your favorite ones.

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  • Ghazal
अना की क़ैद से आज़ाद हो कर क्यों नहीं आता
जो बाहर है वो मेरे दिल के अंदर क्यों नहीं आता

उड़ान उस की अगर मेरे ही जैसी है फ़ज़ाओं में
तो क़द उस का मिरे क़द के बराबर क्यों नहीं आता

मैं पहले शीशा-ए-दिल को किसी खिड़की में रख आऊँ
फिर उस के बाद सोचूँगा कि पत्थर क्यों नहीं आता

छुपा लेती है दुनिया किस तरह ये ज़हर बरसों तक
धुआँ जो दिल के अंदर है वो बाहर क्यों नहीं आता

कोई तक़्सीम का माहिर अगर मिल जाए तो पूछूँ
कि हर क़तरे के हिस्से में समुंदर क्यों नहीं आता

हज़ारों आश्ना होते हैं लेकिन आड़े वक़्तों में
ज़रूरत जिस की होती है मयस्सर क्यों नहीं आता

'कँवल' फ़नकार के बारे में ये भी इक मुअ'म्मा है
जो अब तक आ चुका है उस से बेहतर क्यों नहीं आता
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G R Kanwal
ज़िंदगी का निसाब बे-मा'नी
उस के हक़ में किताब बे-मा'नी

हासिल-ए-तजरबात ख़ामोशी
सब सवाल-ओ-जवाब बे-मा'नी

ख़्वाब टूटा हुआ सितारा-ए-शब
और ताबीर-ए-ख़्वाब बे-मा'नी

हुस्न के बे-शुमार जल्वे हैं
ज़हमत-ए-इंतिख़ाब बे-मा'नी

वही बंदे वही चलन उन का
नारा-ए-इन्क़िलाब बे-मा'नी

इक ख़याली बहिश्त की ख़ातिर
फ़िक्र-ए-रोज़-ए-हिसाब बे-मा'नी

फ़र्द के एहतिसाब से पहले
क़ौम का एहतिसाब बे-मा'नी

जिस के रुख़ पर हया का पर्दा हो
उस के रुख़ पर नक़ाब बे-मा'नी

मौज-दर-मौज हो तो बात भी है
क़तरा क़तरा शराब बे-मा'नी

कुछ भी कर ले ज़मीं न होगा कभी
अर्श पर आफ़्ताब बे-मा'नी

ख़ारज़ारों में घर बना के 'कँवल'
आरज़ू-ए-गुलाब बे-मा'नी
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