Ram Singar Malak

Ram Singar Malak

@ramsingarmalak

Ram Singar Malak shayari collection includes sher, ghazal and nazm available in Hindi and English. Dive in Ram Singar Malak's shayari and don't forget to save your favorite ones.

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  • Ghazal
उजला हो बदन ज़ेहन के काले नहीं देखे
पहले तो कभी ऐसे ज़माने नहीं देखे

शोहरत पे मेरे रश्क किया करते हैं वो लोग
जिसने भी मेरे राह के काँटे नहीं देखे

मुद्दत हुई है उनसे बिछड़ के मुझे लेकिन
यादों के मकाँ में कभी जाले नहीं देखे

पड़ते ही नहीं कम कभी अश्कों के ये गौहर
ऐसे तो कभी हमने ख़ज़ाने नहीं दिखे

ओझल हुआ जिस दिन से वो नूरानी सा चेहरा
उस दिन से कभी हमने उजाले नहीं देखे

ग़फ़लत में कटी मेरी जवानी तेरे दर पे
खुलते हुए इक रोज़ भी ताले नहीं देखे

सौ बार फिसल जाएँगे सौ बार उठेंगे
तुमने मेरे मज़बूत इरादे नहीं देखे

हर याद पे ताज़ा हुए हैं ज़ख़्म "मलक" के
मुद्दत से कोई घाव पुराने नहीं दिखे
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Ram Singar Malak
आदत है अपनी मयकशी हमको पिलाइए
थोड़ी सी है ये ज़िन्दगी हमको पिलाइए

जो मयकदे में आये हैं सब भूल जाएँ हम
अब छोड़िए जी दुश्मनी हमको पिलाइए

है मय- कदा दर - ए - ख़ुदा पीना नमाज़ है
अपनी यही है बंदगी हमको पिलाइए

तारे ख़फ़ा ख़फ़ा से हैं रूठा है चाँद भी
चुभने लगी है चाँदनी हमको पिलाइए

आदत पड़ी हमारे लबों को मिठास की
लब पे लगा के चाशनी हमको पिलाइए

गुज़रा कोई जनाज़ा किसी मयकदे से जब
देने लगा सदा यही हमको पिलाइए

उल्फ़त हो या शराब मिलावट नहीं भली
भाती है दिल को सादगी हमको पिलाइए

वो आँख क्या ख़फ़ा हुई दुनिया खफ़ा लगे
होती नहीं है शाइरी हमको पिलाइए

हर बाज़ी आप की हुई अब जश्न हो ज़रा
हमने भी हार मान ली हमको पिलाइए

सहरा में भी "मलक" फिरे दरिया में भी रहे
लेकिन बुझी न तिश्नगी हमको पिलाइए
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