Ghazal Collection

तुम्हें क़ीमत पता होती तो बे-क़दरी नहीं होती
उन्हें पूछो वो जिनके हिस्से में रोटी नहीं होती

ज़रा सा दुख तो होता है परेशानी नहीं होती
कोई अब छोड़ जाता है तो हैरानी नहीं होती

किया ज़ाहिर कि शादी उनसे ही करने की ख़्वाहिश है
वो हँसती हैं ज़बाँ से पर कभी हाँ-जी नहीं होती

मिलाऊँगा उन्हें भी आप सब से सोचता हूँ मैं
मगर कब? जब तलक वो आपकी भाभी नहीं होती

बहन है आपकी तो ख़ुश-नसीबी मान कर चलिए
उन्हें पूछो वो जिनके हाथ पर राखी नहीं होती

हथौड़ा और आरी साथ लेकर चल रहे हैं सब
किसी के पास दिल की क्यों कोई चाबी नहीं होती

सुनामी आ गई कैसे बताओ तो ज़रा आँखों
लिखा भी था पलक पर याद तैरानी नहीं होती

मोहब्बत है बड़ी ज़ालिम ये आज़ादी नहीं देती
सज़ा-ए-मौत पुख़्ता हो भी तो फाँसी नहीं होती

लगाए हैं सभी इल्ज़ाम दिल पर 'दिव्य' तुमने भी
बिछड़ जाने की तुमने भी कभी ठानी नहीं होती
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Divya 'Kumar Sahab'
क़ैद से बाहर मैं आना चाहता हूँ
आज फिर से मुस्कुराना चाहता हूँ

हारने की हर वजह है सामने पर
जीतने का इक बहाना चाहता हूँ

रात हो कितनी ही काली ख़त्म होगी
इस ग़ज़ल में ये बताना चाहता हूँ

मैं भले बेबस हूँ लेकिन तू नहीं है
फिर तेरी चौखट पे आना चाहता हूँ

सब के चेहरों पर यहाँ सौ सौ मुखौटे
मैं अब इन से दूर जाना चाहता हूँ

मैंने अपनी जान की बाज़ी लगा दी
हार कर तुझको हराना चाहता हूँ

कुछ अंधेरे होते हैं हमको अज़ीज़
दिल नया पर दुख पुराना चाहता हूँ

काश मिल जाएँ पुराने यार फिर से
फिर पुराने गीत गाना चाहता हूँ

बद्दुआ तो क्यूँ ही दूँगा मैं किसी को
मैं बस अपना घर बसाना चाहता हूँ

जा निकल जा इश्क़ अब तू दिल से मेरे
तुझ से मैं पीछा छुड़ाना चाहता हूँ
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Amaan Pathan
अपना सबसे बड़ा दुश्मन-ए-जान हूँ
मैं ही लंका हूॅं और मैं ही हनुमान हूँ

इतनी मुद्दत से हूॅं मैं परेशाँ कि अब
याद ये भी नहीं क्यों परेशान हूँ

ऐ ख़ुदा ये कहाँ फेंक डाला मुझे
मैं यहाँ के रिवाजों से अंजान हूँ

ज़ख़्म दे पर ज़रा धीरे धीरे से दे
थोड़ी रहमत बरत नन्ही सी जान हूँ

ज़िंदगी से बड़ी है वो मेरे लिए
दिल लुभाने का उसका मैं सामान हूँ

मुझको फ़न दुनियादारी का आता नहीं
इस विषय में मैं थोड़ा सा नादान हूँ

मैं नहीं जा रहा कुछ भी कहने उसे
मैं भी कब तक सहूॅं मैं भी इंसान हूँ

उसकी नज़रों में क़ीमत मिरी कुछ नहीं
जैसे मैं कोई मज़दूर की जान हूँ

सब को अच्छा लगूॅं ये तो मुमकिन नहीं
अब मैं क्या कोई दरबारी की तान हूँ
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Sagar

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