तूफ़ान-ए-मोहब्बत लाख उठे तूफ़ान से लेकिन हासिल क्या
जो डूब गई वो कश्ती क्या जो हाथ आया वो साहिल क्या
ये बर्क़-ओ-शरर ये शम्स-ओ-क़मर देते हैं निशान-ए-मंज़िल क्या
ऐ दोस्त हमें हो सकता है अंदाज़ा-ए-रंग-ए-महफ़िल क्या
क्या कहिए कि दर्द-ए-फ़ुर्क़त से 'एहसास' तड़पता है दिल क्या
तस्कीन तो माना मुमकिन है तस्कीन से लेकिन हासिल क्या
हम दूर से क्या अंदाज़ा करें क्या नाज़-ओ-नियाज़-ए-उल्फ़त थे
परवाने से होने वाली थी तौहीन-ए-मज़ाक़-ए-महफ़िल क्या
है राह-ए-मोहब्बत राह-ए-रज़ा अंदेशा-ए-सूद-ओ-ज़ियाँ कैसा
मैं क्यूँ देखूँ आसान है क्या मैं क्यूँ देखूँ है मुश्किल क्या
तौहीन-तलब तौहीन-ए-जुनूँ तौहीन उरूज-ए-मंज़िल है
मैं जिस पे पहुँच जाऊँ हमदम हो सकती है मेरी मंज़िल क्या
इज़हार-ए-ग़म-ए-दिल करना तो 'एहसास' ब-हर-हाल आसाँ है
अश्कों की फ़क़त दो बूंदों का आँखों से निकलना मुश्किल क्या
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